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किसान बनें, सब कुछ पाएं

किसान बनें, सब कुछ पाएं

बीए-एमए पास करके भी अगर आप बेरोजगार हैं तो कृपया अपनी तकदीर को मत कोसिये, सरकार को गालियां मत दीजिए। अगर आपके पास एक रुपया भी नहीं है तो कोई बात नहीं। आप खेती करके न सिर्फ अपना परिवार चला सकते हैं, बल्कि अच्छा पैसा कमाने के साथ-साथ खूब नाम भी कमा सकते हैं। इस देश की आबादी है 1 अरब 43 करोड़, इनमें से 96 करोड़ लोग खेती कर रहे हैं। किसी की फसल ज्यादा बेहतर होती है, किसी की कम। जो संसाधन वाले हैं वो बढ़िया कर जाते हैं, लेकिन जो बिना संसाधन वाले हैं, वो भी अक्ल लगाएं तो बढ़िया कर सकते हैं। शर्त ये है कि आपमें सीखने की गुंजाइश होनी चाहिए, थोड़ा धैर्य होना चाहिए।

बेरोजगार ग्रेजुएट

मान लें कि आप किसी भी विषय में ग्रेजुएट हैं, आप शहर में रहते हैं। बेरोजगार हैं, तो परेशान किस बात के लिए होना। सबसे पहले तो आप यह मन बना लें कि आपको किसानी करनी है। जब तक यह कांसेप्ट आपके दिमाग में साफ नहीं होगा, इरादा पक्का नहीं होगा, तब तक आप किसानी में सफल नहीं हो सकेंगे। आपको धैर्यवान होना ही पड़ेगा, बिना धैर्य के किसानी असंभव है।

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जमीन का पट्टा

आप एक जमीन का टुकड़ा देखें, कम से कम एक एकड़ या उससे कुछ कम या ज्यादा का टुकड़ा हो। वह खेती के लायक जरूर हो, बेशक आपके शहर से दूर हो पर आप उसे देखें। जमीन के मालिक से बात करें, अगर वह खेती कर रहा है तो उससे पूछें कि जिस सीजन में वह खेती नहीं कर रहा हो, उस सीजन में आप उस पर खेती करें। वह तैयार हो जाएगा, आप पट्टादारी पर साइन करा लें या कोर्ट से एफिडेविट ले लें या नोटरी बना दें। कुल मिलाकर एक निश्चित काल खंड के लिए उस जमीन को आप ले लें, मन में रखें कि आपको उस पर खेती करनी है।

मिट्टी की जांच

एक कृषि वैज्ञानिक से बात कर आप उस मिट्टी की जांच करा लें, मिट्टी की जांच में उसकी उर्वरकता के बारे में पता चल जाएगा। आपको पता चल जाएगा कि इसमें कौन सी फसल बोनी है या लगानी है। आप उसी फसल की खेती के लिए खुद को तैयार करें, जब तक आप मानसिक तौर पर तैयार नहीं होंगे, यह काम नहीं होगा।

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कृषि संस्थानों से मदद

आपने जीवन में कभी हल-बैल या ट्रैक्टर से खेती नहीं की है, फिर आप खेती करेंगे कैसे, इसका भी जवाब है। आप अपने गांव से किसी एक मजदूर को बुला लें। खेती के बढ़िया तौर-तरीकों के बारे में कृषि विश्वविद्यालय, पूसा या फिर पंतनगर की वेबसाइट पर एक से एक वीडियो पड़े हुए हैं। कई यू ट्यूबर हैं, जो खेती पर ही वीडियो बनाते हैं। आप उन्हें देख कर प्रारंभिक जानकारी ले सकते हैं। फिर, गांव से जिस मजदूर को आप बुलाएंगे, उसे भी पता होगा। अगर वह भी गोबर गणेश है, तो आप उसे समझाएं कि कैसे क्या करना है। इसके लिए आप सोशल मीडिया पर एक्टिव रहेंगे तो सब मालूम चल जाएगा। आप एक इनोसेंट पर्सन की तरह कॉल सेंटर पर भी बात कर सकते हैं। डीडी किसान का प्रोग्राम देख सकते हैं, खेती करने के बहुत सारे नायाब तरीके हैं। जरूरत यह है, कि आप उसे सही अर्थों में देखें, सीखें और आगे उस पर काम करें।

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पैसे ये देंगे

आपने जमीन देख ली, मजदूर तय कर लिया, खेती कैसे करनी है, यह भी सीख लिया। अब मुद्दा आता है धन का आपके पास तो पैसे हैं ही नहीं, कोई बात नहीं। इसके लिए आप या तो मित्रों से पैसे ले सकते हैं या फिर बैंकों का रूख कर सकते हैं। बैंक आपको दस्तावेज के आधार पर पर्सनल लोन दे सकता है। अगर बैंक मना कर दे तो कोई बात नहीं। फिर आप प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में जा सकते हैं। अगर यहां भी दिक्कत है, तो आप किसी एनजीओ से संपर्क कर सकते हैं। कई धन्ना सेठ हैं, इस देश में जो आपको खेती के नाम पर पैसे दे सकते हैं। आपको पैसे मैनेज करना पड़ेगा, यह आपके विवेक पर है, कि आप कैसे मैनेज करते हैं।

पटाने की व्यवस्था

हमने मान लिया कि, आपके पास पैसा आ गया। अब आप खेती शुरू करें, पूरी जमीन को उतना ही जोतें, जितना एक्सपर्ट ने कहा है। ट्रैक्टर का इस्तेमाल करें, उसी से बीज डलवाएं। बीज वही हो, जो एक्सपर्ट ने सुझाया हो। एक्सपर्ट जो बीज सुझाएंगे, उसकी प्रोडक्टिविटी ज्यादा होगी। इसलिए अपना दिमाग न लगाएं, अब बारी है पानी देने की, उसके लिए आप पंपिंग सेट हायर कर सकते हैं।

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मंडी का रूख

अब सब हो गया, फसल लग गई मान लो, आपने आलू ही लगाया है। एक एकड़ में मान लो मोटे तौर पर 25 क्विंटल भी आलू हुआ तो यह बेहतर माना जाएगा। वैसे, कई बार ज्यादा आलू भी हो जाता है। आप इस फसल को लेकर क्या करेंगे? जाहिर है, आपने इसे उगाया है, तो बिजनेस के प्वाइंट आफ व्यू से ही मोटे तौर पर आप मान लें कि देश के किसी भी मंडी में प्रति क्विंटल आलू का रेट 1600 रुपये से कम का नहीं है। खुदरा रेट 2200 रुपये प्रति क्विंटल तक जाता है। यह आपको तय करना है, आप खुदरा बाजार में इसे बेचेंगे या थोक मंडी में आपका आलू बेहतर है, तो रेट ज्यादा भी मिल सकता है। हमने मान लिया कि आप उसे थोक मंडी में बेचेंगे। 25 क्विंटल आलू को 1600 रुपये से गुणा करेंगे तो कुल राशि आएगी 40000 रुपये। अगर आप इसे खुदरा मार्केट में बेचेंगे तो आपको मिलेगा 55000 रुपये। आपकी लागत बहुत आई होगी तो 10000 रुपये, आमदनी देखें और खर्च देखें। इन दोनों के बीच का जो फर्क है, वह आपका पैसा है, जहां फूटी कौड़ी की भी आमदनी नहीं थी, वहां दो पैसे तो आए. इसी तरह की पट्टादारी आप अगर एक साथ में पांच-सात-दस कर लेते हैं, तो अंदाजा करें, आपको कितने पैसे मिलने लगते हैं।

एग्री लोन लें फसल बुवाई पर, चुकाएं किसान कटाई पर : प्रोत्साहन राशि दे रही सरकार उस पर

एग्री लोन लें फसल बुवाई पर, चुकाएं किसान कटाई पर : प्रोत्साहन राशि दे रही सरकार उस पर

फसल बुवाई पर एग्री लोन लेकर कटाई के समय चुकाएं किसान, सरकार देगी प्रोत्साहन राशि

पंचकूला। हरियाणा में सरकार किसानों के लिए एक अच्छी योजना बनाने की तैयारी कर रही है। इस योजना के अंतर्गत किसान फसल बुवाई के समय एग्री लोन लेकर, कटाई के समय उस लोन को चुकता करेंगे। क्योंकि फसल बुवाई के दौरान किसान के हाथ में पैसा कम होता है और खर्चा बहुत ज्यादा, जबकि फसल कटाई के समय किसान के हाथ में पैसा होता है, इसीलिए यह योजना किसानों के लिए फायदेमंद रहेगी। समय पर एग्री लोन लेकर समय से ही जमा करने वाले किसानों को सरकार ने एक प्रतिशत प्रोत्साहन राशि देने का ऐलान किया। हरियाणा के मुख्यमंत्री
मनोहरलाल खट्टर ने हरियाणा स्टेट को-ऑपरेटिव अपेक्स बैंक (हरको) (The Haryana State Co-op Apex Bank Ltd (HARCO)) की समीक्षा में बैठक में यह बातें कहीं। अगर बैंक सीएम का सुझाव मानते हैं तो किसानों को कुछ राहत जरूर मिलेगी।

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पैक्स की जगह वैक्स को करेंगे प्रभावी

- मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता वाली बैठक में एक और अहम फैसला लिया गया, जिसमें पैक्स (प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसायटी) (Primary Agricultural Credit Society (PACS)) के एकाधिकार को खत्म करके वैक्स, यानी ग्राम कृषि प्राथमिक सहकारी समितियों (Village Agriculture primary Cooperative Societies (VACS)) को बनाने का फैसला लिया गया है। वैक्स में गांव-देहात के पढ़े-लिखे युवा किसान भी शामिल होंगे, जिनका रजिस्ट्रेशन भी को-ऑपरेटिव सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत किया जाएगा और किसान भाई ही वैक्स का संचालन करेंगे।

हर जिले में खोले जाएं हरको बैंक

- जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक की शाखाओं के नियंत्रण हरको बैंक ही रखते हैं। वर्तमान में हरियाणा के चंडीगढ़ व पंचकूला में ही हरको बैंक की शाखाएं संचालित हैं। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि प्रदेश के हर जिले में हरको बैंक खोलने की संभावना तलाशी जाएं। भले की हरको बैंक का सीधा संबंध पैक्स से नहीं होता है, लेकिन हरको बैंक केन्द्रीय सहकारी बैंक की शाखाओं पर तो नियंत्रण रखते ही हैं। ----- लोकेन्द्र नरवार
डिफॉल्टर किसान दोबारा ले सकेंगे लोन, बस इन नियमों का रखना होगा ध्यान

डिफॉल्टर किसान दोबारा ले सकेंगे लोन, बस इन नियमों का रखना होगा ध्यान

सहकारी और राष्ट्रीकृत बैंकों का लाखों करोड़ों किसानों पर कर्ज बकाया है. अगर किसान समय पर अपना लोन नहीं चुका पाते, तो उन्हें डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाता है. जिसके बाद किसानों के कर्ज लेने के सारे रस्ते बंद हो जाते हैं. हालांकि लोन लेने के अपने कुछ क़ानूनी नियम होते हैं. लेकिन ऐसा कई बार होता हैं जहां फसलों की बर्बादी या फिर मौसम की मार की वजह से किसान अपना लोन नहीं चुका पाते. लों की किस्ते चुकाने के लिए बैंक की तरफ से भी कई फोन किये जाते हैं. लेकिन देरी की वजह से कई तरह तरह की पेनाल्टी लग जाती है और लोन की रकम पहले से कहीं ज्यादा बढ़ जाती है. एल तो पहले का लोन उसके ऊपर से उसमें लगी पेनाल्टी किसानों पर डबल बोझ डाल देती है. जिसे चुकाना आसान नहीं होता. ऐसा कई बार होता है कि, जमानत के तौर पर किसानों को अपनी जमीन तक बेचनी पड़ जाती है. खेती किसानी में पैसों की जरूरत होती है, इसलिए जो किसान डिफॉल्टर घोषित कर दिए जाते हैं, वो किसी बैंक से लोन ले सकते हैं.

डिफॉल्टर किसानों के बारे में

किसान जब पुराने लोन की किस्ते या फिर ईएमआई (EMI) का सही समय पर भुगतान नहीं कर पाते तो बैंक उन्हें डिफॉल्टर घोषित कर देती है. इस वजह किसानों को दोबारा लोन लेने में काफी समस्या होती है. क्योंकि बैंक चाहे कोई भी हो, बैंक लोन देने से पहले रिकॉर्ड जरूर चेक कर लेती है. ऐसे में लोन वसूलने के लिए बैंक और एजेंट्स लगातार संपर्क करते हैं. अपनी क्रेडिबिलिटी को दिखाने केलिए किसान लेट फीस के साथ लोन की रकम जमा करके अपना क्रेडिट स्टेट्स सुधार सकते हैं. ये भी देखें:
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डिफॉल्टर किसानों को दोबारा मिल सकता है लोन

लोन देने के लिए सिबिल स्कोर या क्रेडिट स्टेटस को जांचा जाता है. अगर किसान ने पुराना लोन भले ही देर से चुका दिया जाए, तो दोबारा लोन मिल सकता है. लोन के लिए 750 सिबिल स्कोर होने जरूरी है. इसके अलावा देश में कई वित्तीय संस्थान 300 से ज्यादा सिबिल स्कोर वाले आवेदकों को लोन दे देते हैं. लेकिन उनकी ब्याज ड्रोन की बात करें, तो वो काफी ज्यादा होती है.

सिबिल स्कोर सुधारने के लिए करें ये काम

अगर आप डिफॉल्टर किसान घोषित नहीं होना चाहते हैं, तो अपना सिबिल स्कोर सुधारने की कोशिश करें. इसके लिए आपने जिस भी बैंक से लोन लिया है, उसकी बजाय किस्त समय पर चुका दें. किसान की जितनी आय हो उस हिसाब से लोन पास करवाना चाहिए. ताकि उसे आसानी से चुकाया जा सके. ये भी देखें: अगर बरसात के कारण फसल हो गई है चौपट, तो ऐसे करें अपना बीमा क्लेम

लोन के लिए शर्तें भी

डिफॉल्टर किसानों के लिए प्राइवेट बैंक और कंपनी ने लोन के लिए रास्ता साफ़ कर दिया है. लेकिन इसकी शर्त यही है कि, किसान को जमानत या कोई गारंटी देनी होगी. देश में कई ऐसे राज्य हैं, जहां की सरकारें कर्जमाफी और ब्याज पर माफ़ी की योजनाएं ला चुकी हैं. इतना ही नहीं लोन पर बीज, खाद, मशीन खरीदने और उर्वरक पर सहूलियत दी जाती है.
इस राज्य में दीर्घकालीन कृषि कर्ज पर कृषकों को 5 % प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जाएगा

इस राज्य में दीर्घकालीन कृषि कर्ज पर कृषकों को 5 % प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जाएगा

दीर्घकालीन कृषि लोन में किसानों को अधिक ब्याज भरना पड़ता है, इस वजह से किसानों पर कर्ज का भार काफी बढ़ जाता है। इस समस्या से थोड़ी राहत अदा करते हुए राज्य सरकार की तरफ से दीर्घकालीन लोन पर 5% प्रतिशत ब्याज सब्सिड़ी देने की घोषणा की है। किसानों की आमदनी को दोगुना करने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए हर संभव कोशिशें की जा रही हैं। किसानों को नवीन वैज्ञानिक तकनीकों एवं यंत्रों से अवगत करवाया जा रहा है। खेती-किसानी को आसान करने के लिए विभिन्न कृषि योजनाएं जारी की जा रही हैं। खेती में होने वाले खर्चे को कम करने हेतु कृषकों को स्थिर कृषि से जोड़ा जा रहा है। केंद्र एवं राज्य सरकारें एकमत होकर किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृण व शक्तिशाली बना रही हैं। इसके चलते किसानों पर आर्थिक जोर ड़ालने वाले कर्ज की मार को भी हल्का करने की पहल जारी हो चुकी है। राजस्थान सरकार द्वारा दीर्घ काल हेतु कृषि ऋण पर ब्याज सब्सिड़ी देने की घोषणा की गई है। जिसके लिए ब्याज अनुदान योजना भी लागू की जा रही है।

ब्याज अनुदान योजना क्या होती है

किसानों की आर्थिक सहायता के उद्देश्य से
सहकारी समितियां लघुकालीन एवं दीर्घकालीन के कृषि लोन लागू करते हैं। यह कर्ज काफी कम ब्याज दरों पर प्राप्त होता है। परंतु, विभिन्न बार कृषि क्षेत्र में आ रही चुनौतियों या व्यक्तिगत समस्याओं के चलते किसान यह कर्जा उचित वक्त पर नहीं चुका पाते। काफी दीर्घ मतलब लॉन्ग टर्म कर्ज लेने वाले किसानों सहित ऐसे हालात अधिक देखने को मिलते हैं। यही कारण है, कि दीर्घ कालीन कृषि कोर्पोरेट लोन पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान मुहैय्या कराया जाता है। राज्य सरकार द्वारा बजट 2023-24 के बजट में ब्याज मुक्त फसल लोन और ब्याज अनुदान योजना से जुड़ा ऐलान किया है।

ब्याज अनुदान योजना का लाभ इस प्रकार अर्जित किया जा सकता है

जानकारी के लिए बतादें, कि केवल सहकारी समितियों से ली गई दीर्घकालीन कृषि लोन पर ही ब्याज अनुदान का फायदा प्राप्त होगा। किसान अगर चाहें, तो इस ब्याज अनुदान के लिए ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं। यह भी पढ़ें: ढाई हजार करोड़ रुपए से यूपी की 63 हजार सहकारी समितियां होंगी कंप्यूटरीकृत अगर किसान ऑनलाइन आवेदन करना चाहते हैं, तो किसान भाई राज किसान साथी पोर्टल पर जाकर विजिट कर सकते हैं। ऑफलाइन आवेदन करने हेतु अपनी सहकारी विकास बैंक की शाखा अथवा जनपद में कृषि विभाग के कार्यालय में संपर्क साध सकते हैं। इस दौरान किसान भाइयों को आवेदन पत्र सहित कुछ दस्तावेज भी जमा करवाने होंगे। इनमें बैंक अकाउंट डिटेल्स, आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, पासपोर्ट साइज फोटो, खेती की जमीन के कागज आदि शम्मिलित हैं।

कृषि से जुड़ी इन चीजों पर कर्ज की ब्याज माफ होगी

किसान भाईयों को दीर्घकालीन कृषि लोन पर न्यूनतम 10 प्रतिशत की दर से ब्याज की अदायगी की जाती थी। जिस पर 5% प्रतिशत अनुदान का ऐलान किया गया था। मतलब कि फिलहाल किसानों को 5% प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान करना पड़ेगा। यह लोन कृषि इनपुट्स अथवा बाकी सुविधाओं के लिए किसानों को मुहैय्या कराया जाता है। इसमें कुआ विनिर्माण, नाली निर्माण, हौज निर्माण, फार्म पौण्ड निर्माण, कृषि बिजली कनेक्शन, सूक्ष्म सिंचाई सिस्टम, पंपसेट और नलकूप स्थापित करने के लिए लागू किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त कार्बाइन हार्वेस्टर, ट्रैक्टर, थ्रेसर की खरीद हेतु लंबी अवधि के लिए लोन जारी किए जाते हैं, जिनकी ब्याज धनराशि निजी बैंकों के ब्याज की धनराशि से काफी कम होती है।